सजिलाे कोमलगीता (समछन्दानुवाद): संशोधनहरू बीचको भिन्नता

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पङ्क्ति ३६:
धृतराष्ट्र उवाच
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'''धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः'''
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'''मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय (१)'''